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25/जुलाई/2022

भारत में अब तक पौधों की 45,000 प्रजातियों (प्रजातियों) की खोज की जा चुकी है। उनमें से, पौधों की केवल 4,000 प्रजातियों में औषधीय/हर्बल गुण हैं। इनमें से अधिकांश पौधों का उपयोग पारंपरिक भारतीय चिकित्सा जैसे आयुर्वेद, यूनानी (दवा), सिद्ध (दक्षिण भारतीय चिकित्सा), तंत्र चिकित्सा, प्राकृतिक चिकित्सा, और आदिवासी चिकित्सा, टोटका चिकित्सा में किया जाता है। अनेक वृक्षों और पौधों, लताओं और पत्तियों, जड़ों और छालों का अलिखित उपयोग पूरे भारत और पश्चिम बंगाल में बिखरा हुआ है। यह पोस्ट, हर्बल उपचार द्वारा खाँसी का सफलतापूर्वक इलाज कैसे करें पाठकों के लाभ के लिए रोगों के उपचार में दी जाने वाली कुछ जड़ी-बूटियों का संदर्भ देता है। आशा है, हर्बल उपचार द्वारा खाँसी का सफलतापूर्वक इलाज कैसे करें रोगियों के लिए उपयोगी होगा।

खाँसी

खांसी 2 प्रकार की होती है – तरल और सूखी। टॉन्सिल और काली खांसी के कारण उल्टी हो सकती है। खसरा, डिप्थीरिया और लैरींगाइटिस भी खांसी का कारण बनते हैं। कार के धुएं और धूल से भी खांसी होती है। लेकिन बेहतर यही होगा कि खांसी के कारण का पता लगाकर उसका इलाज किया जाए।

रोग के लक्षण:

बदलते मौसम में बच्चों को सर्दी-जुकाम हो सकता है। सर्दी खांसी का कारण बन सकती है। लगातार खांसी, सांस लेने में तकलीफ और उल्टी भी हो सकती है। रोग के कारण : उपर्युक्त कारण खांसी के प्रमुख कारण हैं।

हर्बल उपचार:

(1) बसाक के पत्ते का रस शहद के साथ लेने से खांसी दूर होती है।

(2) शिउली के फूल के पत्तों का रस एक कप वयस्कों को और एक कप बच्चों को थोड़ा नमक के साथ सुबह खाली पेट देने से खांसी और कफ कम हो जाता है।

(3) थोड़ा सा रतालू शहद चबाने से खांसी जल्दी ठीक हो जाती है। यदि आपको जस्टिमधु नहीं मिलता है, तो आप कुचर (रति) की जड़ को थोड़ा सा चबाकर भी वही परिणाम प्राप्त कर सकते हैं।

(4) गुलाल के रस में शहद मिलाकर पीने से खांसी में आराम मिलता है।

(5) पुरानी खांसी में शिमूल के पौधे के गोंद में मोचा का रस मिलाकर 800 मिलीग्राम पानी में मिलाकर दिन में दो बार पीने से पुरानी खांसी ठीक हो जाती है। बसाकी के साथ

(6) पुरानी आमवाती खांसी में (कफ नहीं आता लेकिन खांसी बनी रहती है) सुबह के समय पत्ते का रस भी ले सकते हैं। शाम 4 बजे के बाद एक चम्मच पुनर्नवर के रस को गर्म करने से समस्या दूर हो जाती है।

(7) कच्ची वेंडी को बिना बीज के टुकड़ों में काटकर, सुखाकर चूर्ण, 5-7 ग्राम चीनी के रस में मिलाकर 1-2 गोलियां गले को चूसकर गोलियां (गोलियां) बना ली जाती हैं।

(8) खांसी और किसी भी उम्र में महुआ के फूल 5-7 ग्राम को 1 कप पानी में मिलाकर दिन में 3-4 बार सेवन करने से 2-3 दिन में खांसी ठीक हो जाती है।

(9) बच्चों और बूढ़ों को जो खांसी और कॉफी पीते हैं, उनके लिए 10 ग्राम ताज़े खेत-पपरे का काढ़ा बना लें, उस काढ़े को दिन में 2 बार सुबह और दोपहर में लें, और अच्छे परिणाम प्राप्त करें।

(10) पान के पत्ते का रस शहद के साथ लेने से खांसी में लाभ होता है।

खाँसी का सफलतापूर्वक इलाज

एलोपैथिक इलाज :

बेहतर होगा कि डॉक्टर की सलाह से ही इलाज कराएं। बाजार में मिलने वाले कफ सिरप का सेवन डॉक्टर से सलाह लेकर ही करना चाहिए। क्योंकि कई कफ सिरप विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा प्रतिबंधित हैं। वे बच्चों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं।

होम्योपैथिक उपचार:

अनुभवी डॉक्टरों के अनुसार सूखी और कठिन खांसी में एकोनाइट। डिस्फोरिया एपिकैक, कैनकोरिया कार्ब में सर्दी नहीं बढ़ती। रात में लेटने में असमर्थ खांसी, सीना आदि। विशेष रूप से कार्य करें। इसके अलावा सीपिया, बेलाडोना, ब्रायोनिया, ड्रोसेरा आदि का भी सेवन किया जाता है। देते नजर आ रहे हैं। भोजन : लौकी, खट्टी दही या पुई शाक का सेवन ना करें तो बेहतर है। आइसक्रीम, कुल्फी मलाई नहीं। नमक के पानी से गरारे करें।

खाँसी का सफलतापूर्वक इलाज

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